पीएम मोदी ने एक नारा दिया था सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया था तब भी कहा गया था कि इस फैसले से जम्मू कश्मीर के लोगों का साथ भी है विकास भी है और विश्वास भी है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने वाले ऐतिहासिक फैसले को 5 अगस्त को 4 वर्ष हो जाएंगे। इन दिनों में कितनी बदली है रुत, कितनी बदली है रवानी और कितनी बदली है जिंदगानी इस बात को लेकर मीडिया में विमर्श, संवाद और विवाद निरंतर है। इसी कश्मीर की हवाओं में कभी बारूद की गंध घुली, कभी आतंकवादियों ने इसी की छाती को छलनी किया। इसी कश्मीर के चेहरे पर कभी पड़े अपने ही खून के छींटे। मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को निरस्त करने की चौथी वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर आई डेटा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में महत्वपूर्ण सड़क-बिजली और आर्थिक बुनियादी ढांचे के उन्नयन के अलावा समग्र सुरक्षा वातावरण में उल्लेखनीय सुधार का संकेत देता है। तथ्य यह है कि अगर हम आंकड़ों को एक तरफ रख भी दें, तो घाटी में खेल और मनोरंजन की वापसी के साथ बंदूक, भय और जिहाद के माहौल ने अपेक्षाकृत शांति का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। जबकि राज्य के राजनेता जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करना और चुनाव कराना चाहते हैं, लेकिन इसे रद्द करने का बड़ा लाभ घाटी में शांति है। क्षेत्र में सक्रिय पाकिस्तान समर्थक आतंकवादी समूहों द्वारा अचानक ग्रेनेड हमले के डर के बिना भीतरी इलाकों के पर्यटक बड़ी संख्या में केंद्रशासित प्रदेश में आ रहे हैं।